Shrawan somba श्रवण सोमवार का महत्व
बेसे तो हर समय हर दिन भगवान शिव की पूजा उपासना की जाती है, परन्तु श्रवण सोमवार का अपने आप में बहुत ज़्यादा महत्व है, पुराण में मान्यता है की श्रवण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान देवों के देव महादेव की आराधना का काफ़ी महत्व इस माह में भगवान शंकर की पूजा करने से उनके भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
कितने सोमवार होते है श्रवण में?
श्रवण सोमवार की सांख्य पाँच होती है। इन पाँच सोमवार का अपना अलग अलग महत्व है पहले सोमवार को उन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है जो बेरोज़गार है।
दूसरे सोमवार को उन लोगों की मनोकामना पूरी होती है जो संतान सुख से वंचित है।
तीसरे सोमवार को भगवान शिव की कृपा उन लोगों पर होती है जो पुरनी बीमारी से पीड़ित है।
चोथे सोमवार को उन लोगों को पूजा करना चाहिए जो पुरने झगड़े से परेशान है।
ओर पाँचवें अंतिम सोमवार को भगवान शिव अपने समस्त भक्तों पर अपनी कृपा करते है।
क्यों पिया था भगवान महादेव ने विष?
जब देव ओर दानव ने समुद्र मंथन किया था उस समय समुद्र मंथन से भाँति भाँति की वस्तुएँ निकली थी पर कहते है कि अच्छाई है तो बुराई भी है यदि अमृत है तो विष भी होगा इसी तरह जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत के साथ विष भी निकला अमृत तो देवताओं ने ले लिया ओर उसको पी कर अमर हो गए अब बारी आई बिष की उसको पीने से सबने माना कर दिया, अब सवाल था इसको क़ोन पिएगा सब ने पीने से इंकार कर दिया चारों ओर हाहाकर मच गया किसी को पीना पड़ेगा विष तो सब लोग ब्रह्मा जी के पास गए ओर बोले अब आप ही मार्ग बताए, तो परमपिता परमात्मा बोले की इस संकट का निवारण बस देवों के देव महादेव ही कर सकते है। तो सब देव महादेव के पास पुहँचे ओर भगवान से बोले की प्रभु आप इस संकट का निवारण करो तो देवों के देव महादेव ने विष का सेवन कर लिया ओर जगत में नीलकंठ कहलाए।