3 bills to replace IPC CRPC and Evidence Act by modi Government :
आजादी के बाद से चलें आ रहे कानूनों में अमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए भारत सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में बॉल पेश किया है। भारतीय दण्ड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPc), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलकर उन्हें नए रूप में लाया जायेगा। नए विधेयक में राजद्रोह का उल्लेख नहीं है। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को ये बिल पेश किया। ये तीनों विधेयक अब संसदीय समिति के पास रिव्यू के लिए भेज दिए गए हैं ये कानून भारत में अपराधो की प्रिक्रिया की नींव हैं कौन सा अपराध क्या है और उसके लिए क्या सजा होनी चाहिए यह भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत ही तय होता है। दंड प्रिक्रिया संहिता (IPC) में अपराध के लिए मुकदमे की विधि दंड की व्यवस्था का उल्लेख है। इसके साथ ही अपराधी के बयान कैसे दर्ज होंगे तथा अपराध साबित कैसे किया जाएगा इन सब की जानकारी भी इसी में दी गई है। गृह मंत्री का कहना है की ये कानून उपनिवेश की निशानी हैं इन्हें अब आज के हिसाब से बदला जाएगा। आइए इसके बारे में विस्तार से जानकारी लेते हैं।
मॉब लिंचिंग की सजा मौत (परिभाषा) :-
नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है। जब 5 या 5 से अधिक लोगो द्वारा के समूह के रूप में किसी नस्ल, लिंग, समुदाय, भाषा, जन्मस्थान, क्षेत्र, तथा जातिगत आधार पर अगर हमला कर हत्या कर देते है तो उन्हें मौत तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें हत्या में शामिल हर सदस्य को मौत या कम से कम 7 वर्ष और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा।
राजद्रोह कानून होगा खत्म :-
नए विधेयक में राजद्रोह कानून का उल्लेख नहीं हैं हालांकि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 150 कहती है की, जो कोई जानबूजकर बोले गए या लिखित शब्दो द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्य द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा या वित्तीय साधनों का उपयोग करके या अन्यथा अलगाव या स शस्त्र विद्रोह करके या विधवंशक गतिविधि करके उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या अलगाववादी भावनाओ को प्रोत्साहित करता है उसकी गतिविधियां संप्रभु या एकता को खतरे में डालती हैं ऐसे किसी भी कृत्य में शामिल होने या करने पर आजीवन कारावास या कम से कम 10 वर्ष की सजा तथा ऐसा कारावास जिसे बढ़ाया जा सकता है से दंडित किया जाएगा तथा इसके साथ ही उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। राजद्रोह के मौजूदा कानून के अनुसार राजद्रोह के मुकदमे में आजीवन कारावास की सजा दी जाती है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम :-
बदलने वाला अगला कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 है। इसकी जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लाया जाएगा नया विधेयक साक्ष्य अधिनियम के मौजूदा पांच कानून को निरस्त करेगा।
बिल में 23 प्रस्ताव को बदलने का प्रस्ताव है और एक नया प्रावधान पेश किया गया है इसमें कुल 170 धाराएं गई।
अपराधिक प्रिक्रिया संहिता (सीआरपीसी) :-
दूसरा जो कानून बदलने जा रहा है बो अपराधिक प्रक्रिया संहिता जिसका अर्थ Criminal Procedure code 1973 (CRPc) है CRPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा 2023 को प्रस्थापित किया जाएगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के माध्यम से CRPc के 09 प्रावधानों को निरस्त किया जाएगा। इसके अलावा CRPc के 107 प्रावधानों में बदलाव और नो नए प्रावधान पेश करने को कहा गया है। विधेयक में कुल 533 कुल धाराएं हैं।
भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता (IPC) :-
भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 जगह लेगी तथा यह IPC के लगभग 22 प्रावधानों को निरस्त करेगी। इसके साथ ही नई संहिता में IPC की 175 धाराओं में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया गया है और नो नई धाराएं पेश की गई हैं। भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुल 356 धाराएं हैं।
अपने भाषण के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने बताया की यह कानून राजद्रोह के कानून को पूरी तरह से निरस्त करता है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा –
- “यह तीन विधेयक में से एक है इंडियन पीनल कोड (IPC) , एक है क्रिम्नल प्रोसीजर कोड (CRPc) तथा तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860, की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023, बनाई गई है। क्रिमनल प्रोसीजर कोड की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, बनाई गई है तथा इसके अलावा इंडियन एविडेंस एक्ट 1872, की जगह साक्ष्य अधिनियम 2023, प्रतिस्थापित किया जाएगा।
लोकसभा ने तीनों विदेयको को संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। इससे पहले अमित शाह ने बताया की 18 राज्यों, 06 केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, भारत के 22 हाई कोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सांसद, 270 विधायको, तथा आम जनता ने भी इस बिल के संबंध में अपने सुझाव दिए हैं। सरकार ने इसपर 158 बैठके की हैं। तथा बहुत सी धाराएं इन सुझावों से प्रभावित हैं।
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